मानव के कर्तव्य

                                                                  मधुरम समय


                                           मानव के कर्तव्य 


मानव का जन्म ही कर्तव्यों के पालन के लिए होता है, लेकिन वह अपनी परेशानियों से कर्तव्यों का पालन नही कर सकता है तथा भटक जाता है। इससे प्रतिकूल परिस्थितियां उसके सम्मुख आ खडी होती है। मनुष्य जीवन का अर्थ है, कि कर्तव्यों का ठीक प्रकार से उपयोग किया जाये। यदि हम इससे हटते हैं तो हमारा जीवन कठिनाइयों में पड जाता है। इसका अर्थ है कि कर्तव्यों के पालन के लिए सजगता से डटे रहना होगा। मानव जीवन में कर्तव्य का महत्व उसी तरह से है जैसे पांच भौतिक तत्वों का सम्बन्ध हमारे शरीर से होता है। कर्तव्यों के प्रति उदासीनता बरतने से हम कभी भी सुख शान्ति तथा चैन से नही रह सकते। अतः हमें सदा कर्तव्य पालन के प्रति सजग रहना चाहिए। सच मानें तो जीवन का पर्याय है कर्तव्य के लिए जीवन है। हमारा कर्तव्यबोध ही हमें अपने जीवन के लक्ष्य का निर्धारण करता है। तथा मंजिल तक पहुंचाता है। कर्तव्य को जीवन में अनिवार्यता की तरह ही देखें इससे हमारे विचारों और संकल्प में दृढ़ता आयेगी। हममें अत्यधिक क्षमता तथा सामथ्र्य का विकास होगा। हमें कर्तव्य पालन के लिए जीना चाहिए। हमंे जीवन के मूल्यों के प्रति समर्पित होकर आचरण करना चाहिए। हमें कर्तव्य ही अमरता की ओर अग्रसर करते हैं। स्वार्थरहित  व्यवहार से हमें श्रेष्ठता प्राप्त होती है। क्षणभर के लिए भी यदि हम अपने को आत्मा मानकार आचरण करें तो समस्त सांसारिकता हमें तुच्छ प्रतीत होती है। जो हमंे शान्ति के रास्ते पर ले जाने के लिए  अग्रसर करेगी।