मधुरम समय ओउ्म
वर्तमान की ज्वलन्त समस्याओं का समाधान वेद है।
मनुष्य ही संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। क्योंकि वह ज्ञान और बुद्धियुक्त है। मनुष्य समाज में निवास करता है। आज मानव के सामने अनेक ज्वलन्त समस्यायें हैं। जिससे व्यक्ति अत्यन्त दुखी है। उन सभी समस्याओं का समाधान वेद है। अथवा वैदिक ज्ञान है। आज की यह समस्यायें इस प्रकार से हैं-मानसिक ,शारीरिक,धार्मिक,पारिवारिक,सामाजिक,राष्ट्ीय तथा अन्तराष्ट्ीय समस्या ।
मानसिक समस्या-वर्तमान समय में मानव बहुत अधिक दुखी है। क्यांेंकि मानसिक समस्यायंे भी आज अधिक हैं। मानव दुख त्रस्त होने के कारण अपना मानसिक सन्तुलन खो देता है। जिसके परिणाम स्वरूप अनुचित कार्य की ओर कभी-कभी प्रवृत्त हो जाता है। मानव स्वयं दुखी होकर समाज को भी कष्ट पहुंचाता है। अतः वैदिक चिन्तन से यह समाधान समझ आता है कि -अज्ञान तथा अविद्या के कारण व्यक्ति भ्रमित होता है। अतः मानव को शुद्ध वैदिक ज्ञान की आवश्यकता है। वेदों के शुद्ध ज्ञान से ही अज्ञानता समाप्त हो जायेगी। मन को स्वच्छ पवित्र बनाने के लिए बाल्यकाल से ही अच्छा स्वच्छ सुन्दर पवित्र वातावरण एवं शिक्षा की आवश्यकता है। अतः वेद मेें कहा गया है- 'पुनन्तु मा देवजानाः पुनन्तु मनसा घिय'
अतः योगमार्ग में चल कर ही मानसिक शांति मिल सकती है भोग मार्ग से नहीं जो वेदानुकूल है।
शारीरिक समस्या-स्वस्थ शरीर से स्वस्थ मस्तिष्क का निर्माण होता है। अतः आहार,निद्रा,ब्रहमचर्य यह तीनों वेदानुकूल नियमों को यथावत पालन करके एवं व्यायाम आसन आदि के द्वारा शारीरिक समस्याओं से मुक्त हुआ जा सकता है।
धार्मिक समस्या-आज के समाज में सबसे गम्भीर समस्या धार्मिक समस्यायें हैं। आज व्यक्ति आध्यात्मिक न होकर अधिक भौतिकवादी है, परन्तु धर्म के नाम से भ्रमित है। ईश्वर के विषय में भी भ्रमित हैं। इन सबका समाधान वैदिक ज्ञान है। वेद कहता है-मनुर्भव-मनुष्य को एक मनुष्य बनना चाहिए। मानवता को धारण करना ही धर्म है।
पारिवारिक समस्या-परिवार में यदि सभी सदस्यों में भाई-चारा होगा। सभी सदस्यगण एक दूसरे की बात का आदर करेंगे तो परिवार में कोई भी समस्या उत्पन्न न हो।
सामाजिक समस्या-सामाजिक समस्यायों मंे आज सबसे अधिक जातिवाद की बहुत बड़ी समस्या है।जबकि वेद में कहा गया है-कर्म के आधार पर गुण कर्म स्वभाव के आधार पर जाति होनी चाहिए।
राष्ट्ीय समस्या-आज राष्ट् मंे बहुत सी समस्यायें विद्यमान हैं। यथा-प्रान्तवाद,भाषावाद,जातिवाद इत्यादि। किसी समृद्ध व सुदृढ राष्ट् की परिकल्पना तब हो सकती है। जब राष्ट् में एकता होती है क्यांेकि संगठन में शक्ति होती है। अतः समाज में एक साथ मिलकर रहना चाहिए। राष्ट् में हिंसा नही होनी चाहिए। एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की रक्षा करें। गां मां हिंसी-गाय को मत मारो। इसके द्वारा इस वेद ज्ञान से इन सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है। अन्तर्राष्ट्ीय समस्या-राष्ट् में आज एक राष्ट् दूसरे राष्ट् पर आक्रमण करता है। शत्रुता भी करता है परन्तु ये समस्या विश्व के लिए कल्याणकारी नही है बल्कि एक राष्ट् को दूसरे एक राष्ट् की सहायता करनी चाहिए परन्तु यह बात केवल राष्ट् की ही नहीं अपितु पूरे विश्व में यह समस्या है। आज सब जगह समस्या ही समस्या देखने को मिलती है। हम सब समस्याओं घिरे हैं। इन समस्त समस्या का समाधान वेद है जो वैदिक ज्ञान से ही मिल सकता है।