मधुरम समय
दुख से व्यक्ति में आत्म विश्वास जगता है
मधुरम समय, देहरादून। व्यक्ति पारिवारिक तथा समाजिक दुखों घिरा हुआ है। तथा उसको सभी जगह से उसे निराशा मिल रही है यदि उसमें आत्म विश्वास है तो एक दिन एैसा आयेगा वह उन सभी दुखों पर विजय प्राप्त कर लेता है। व्यक्ति को जितनी शिक्षा सुख से मिलती है उतनी ही दुख से भी। सुख और दुख दोनों ही महान शिक्षक होते हैं। उसके चरित्र में सुख और दुख दोनों ही समान रूप से हैं। कभी-कभी तो ंदुख-सुख से भी बड़ा शिक्षक हो जाता है। यदि हम संसार के महापुरूषों के चरित्रों का अध्ययन करें, तो हम कह सकते हैं कि अधिकांश दशाओं में हम यही देखेंगे कि सुख की अपेक्षा दुख ने सम्पत्ति की अपेक्षा दारिद्रय ने ही उन्हें अधिक शिक्षा दी है एवं प्रशंसा की अपेक्षा निंदारूपी आघात ने ही उसकी अंतस्थ ज्ञानाग्नि को अधिक स्फुरित किया है। चरित्र को एक विशिष्ट ढ़ांचे में ढ़ालने में अच्छाई और बुराई दोनों की ही समान भूमिका रहती है। दुख कभी-कभी तो सुख से भी बड़ा शिक्षक हो जाता है।
इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनन्द उठाने के लिए ये जरूरी है।