मधुरम समय
गढवाल की केन्द्र स्थली श्रीनगर
मधुरम समय, देहरादून। अलकनन्दा नदी के किनारे बसा श्रीनगर गढ़वाल की केन्द्र स्थली है। यह शहर सांस्कृतिक, शैक्षणिक, ऐतिहासिक एवं अन्य अनेक विशष्टताओं को समेटे हुए है। इस शहर के बारे मंे मान्यता है कि राजा सतसंधा ने मां दुर्गा से वरदान प्राप्त करने के लिए यहां की शिला पर श्रीयंत्र की स्थापना की थी। 1558 ई0 में राजा महिपति शाह ने इस शहर की स्थापना की थी।1515 ई0 में गढ़वाल के राजा अजयपाल ने देवलगढ़ से राजधानी को श्रीनगर स्थानांतरित कर दिया। लेकिन 1803 ई0 में आए विनाशकारी भूकम्प ने श्रीनगर में भारी तबाही मचाई और इसका एक बहुत बड़ा भूभाग बर्बाद हो गया । शहर के ऊपर कहर फिर भी नहीं थमा, 1894 ई0 में गोना झील के टूटने से अलकनन्दा में बाढ़ आ गयी, जिससे पुराने नगर का एक बड़ा हिस्सा इसकी चपेट में आ गया। इसके बाद नया नगर श्रीनगर अलकनन्दा के बायेें किनारे पर बसाया गया। 1944 में पौड़ी श्रीनगर मोटर मार्ग बनने से इस नगर का विकास तेजी से हुआ। । 1973 में गढ़वाल विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। जिससे यहां लोगों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने प्रति जागरूकता बढ़ी। यहां पर बैकुण्ठ चतुर्दशी मेले का आयोजन होता है। जिसमें लोगों की अपार श्रद्धा है। पौराणिक एंव ऐतिहासिक महत्व के साथ शैक्षिक दृष्टि से भी श्रीनगर आगे बढ़ रहा है। यहां पर हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वद्यिालय,मेडिकल कांलेज एवं एन0 आई0टी0, एस0एस0बी0 की स्थापना की गयी।
अगर अवसर दस्तक न दें तो स्वयं ही प्रगति का द्वार बना लें।''