मधुरम समय
सौर ऊर्जा विज्ञान एंव संस्कृति के लिए स्रोत
मधुरम समय, देहरादून। सौर ऊर्जा,विज्ञान एंव संस्कृति के एकीकरण एवं प्रौद्योगिकी के प्रयोग द्वारा भविष्य के लिए ऊर्जा स्रोत साबित हो सकती है। सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा की विशेषताएं इसे आकर्षक बनाती है। जिसमें इसका अत्यधिक विस्तारित होना प्रमुख हैं। सौर ऊर्जा जो प्रकाश एवं ऊष्मा दोनों रूपों में प्राप्त होती है। इसका उपयोग अनेक प्रकार से हो सकता है। सौर उष्मा का उपयोग अनाज को सुखाने, जल ऊष्मन, खाना पकाने तथा विद्युत उत्पादन हेतु किया जाता है। सौर ऊर्जा के माध्यम से पका भोजन स्वादिष्ट एवं पौष्टिक होता है। जब हम सौर ऊष्मन का प्रयोग करेंगे तो इससे उच्च आवश्यकता के समय बिजली की बचत होगी। सनातन धर्म में कई ऐसी परम्पराएं हैं जिनका वैज्ञानिक आधार है। मत्स्य पुराण में सूर्य की महिमा को ''आरोग्यम भास्करादिच्छेत'' अर्थात् सूर्य अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने वाला है' कहकर वर्णित किया गया है। वेदों मंे सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। शोध से ऐसी जानकारी प्राप्त की गयी है। कि सूर्य का प्रकाश विभिन्न त्वचा रोगों को समाप्त करता है। आधुनिक विज्ञान ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि सूर्य के प्रकाश में चिकित्सकीय गुण मौजूद होते हैं। उगते सूर्य को अध्र्य देना भी एक परम्परा है। सूर्योदय में अध्र्य देते समय व्यक्ति के सीने पर पड़ने वाली सूर्य की किरणें बहुत स्वास्थ्यवर्धक होती है। सौर ऊर्जा ही मौसम एवं जलवायु का परिवर्तन करती हैं।
परिणामों का निर्णय करना हमारा कार्यक्षेत्र नही, हम तो एकमात्र कार्य करने के लिए उत्तरदायी हैं।