मधुरम समय
स्वामी विवेकानन्द का एक प्रसंग
मधुरम समय,देहरादून। स्वामी विवेकानन्द ने अमेरिका जाकर तथा वहां पर विश्व धर्म सम्मेलन में अपने भाषण से लोगों के मन में अमिट छाप छोड दी थी। उनकी वाणी में विश्व की एकात्मता व बंधुत्व की झलक मिलती थी। स्वामी जी स्पष्टवादी थे। मिथ्या आडम्बर तथा अंधविश्वास के वे प्रबल विरोधी थे। वे कहा करते थे। ''मैं स्पष्ट वक्ता हूं। मैं आपको सत्य का दर्शन कराने आया हूं। आपकी चाटुकारी करना मेरा काम नहीं है। और न ही यह मेरा व्यवसाय है।'' ईसाई धर्म प्रचारकों के पाखण्ड पर वे अत्यधिक प्रहार करते थे। विदेश में प्रवास के दौरान एक चर्च के प्रागण में आयोजित सभा में स्वामी जी ने निर्भीकता से कहा ''आपके धर्म प्रचारक जब हमारी आलोचना करते थे, तब हमने उसी तरह से आलोचना नही की। क्या हमने धर्म परिवर्तन के लिए किसी धर्म प्रचारक को पश्चिम भेजा है। क्या कभी संसार में रक्त बहाये बिना तुमने किसी का धर्म परिवर्तन किया है।
यदि आप गुस्से के एक क्षण में धैर्य रखते हैं, तो आप दुख के सौ दिन से बच सकते हैं।