मधुरम समय
विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन
मधुरम समय,देहरादून। सुव्यवस्थित समाज का अनुशरण करना अनुशासन कहलाता है।व्यक्ति के जीवन मंे अनुशासन का अत्यधिक महत्व होता है। अनुशासन के बिना मनुष्य अपने चरित्र का निमार्ण नही कर सकता है। अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए मनुष्य का अनुशासनबद्ध होना आवश्यक है। विद्यार्थी जीवन मनुष्य के भावी जीवन की आधारशिला है। अतः विद्यार्थियों के लिए अनुशासन में रह कर जीवन-यापन करना आवश्यक है। अनुशासन शब्द का शाब्दिक अर्थ शासन अर्थात् गुरूजनों द्वारा दिखाये गये मार्ग पर चलना है। विद्यार्थियों में अनुशासन बनाने रखने के लिए आवश्यक है कि हमारी शिक्षा पद्धति में नैतिक एवं चारित्रक शिक्षा पर विशेष बल दिया जाये। जिससे वे अपने कर्तव्यों को पहचान सकें। विद्यार्थीयों को स्कूलों में शिक्षा रोजगार से सम्बन्धित दी जानी चाहिये। जिससे विद्यार्थी शिक्षा समाप्ति के पश्चात् बिना समय बिताये रोजगार प्राप्त कर लें। अनुशासित विद्यार्थी ही राष्ट्र को ऊंचा उठा सकते हैं। आज का विद्यार्थी कल का राष्ट्र निर्माता है। इसलिए उसका अनुशासित होना समस्त राष्ट्र को अनुशासित बनाने के समान है।
बुराई करने के अवसर तो दिन में सौ बार आते हैं, लेकिन भलाई का अवसर तो वर्ष में एक बार आता है।