भगवान भक्तों की बुद्धि को प्रेरणा देता है।

मधुरम समय


भगवान भक्तों की बुद्धि को प्रेरणा देता है।


मधुरम समय, देहरादून। गायत्री मंत्र में वर्णन है भगवान भक्तों की बुद्धि को प्रेरणा देता है। यह तभी सम्भव होता है जब भक्त तन मन से भक्ति में लीन होता है। इसे भक्ति योग भी कहते है। प्रभु को अपने मन में रखना ही कर्मयोग है। कर्म ही मनुष्य को ईश्वर से प्रेरणा लेने लायक बनाता है। हमें सुख प्राप्त करना है। इसके लिए आवश्यक है कि हम ज्ञान प्राप्त करें और उसी के अनुसार आचरण करें। हमको ओउम् शब्द का उच्चारण करना चाहिए। इसके उच्चारण से हमारी बुद्धि तथा मन एकाग्र होता है तथा हम उचित मार्ग पर चलते हैं। ओउम् को सच्चिदानन्द का विकसित रूप कहा गया है उसी प्रकार भूः को ज्ञान, स्वः-सुख, तत्-अर्वचनीय,देवस्य-दिव्य शक्ति सम्पन्न, सवितुः -नियम-निमार्ण अधिष्ठाता, भर्गः-परिपाक प्रगल्भ, वरेण्यम्-वरेणीयम रूप, धीमहि हम- हम सब धारण कर,ें यः-जो, नः-हमारी, धियः-कर्म और प्रतिज्ञा तथा प्रयोदयात्-सन्मार्ग पर चलाये वर्णित किया गया है। इस प्रकार इनका मन से उच्चारण करके तथा इनको गायन करने से भक्त अपने जीवन सफल बना सकता है। 



जैसे मैं तुझे देख रहा हूं, वैसे ही मैंने भगवान को देखा है।
-स्वामी रामकृष्ण परमहंस