बुद्ध का नियम क्षमा

बुद्ध का नियम क्षमा
मधुरम समय, देहरादून। बुद्ध ने नियम बना रखा था कि चाहे कोई उनको कितना ही बुरा कहता तब भी उसको क्षमा ही करते थे। एक दिन एक व्यक्ति ने उनको गालियां दी। जब वह गालियां देकर चुप हो गया तब बुद्ध ने उससे कहा-‘जो आदमी किसी को कुछ देने के लिए जाए और वह उसको न ले तब वस्तु किसके पास रहेगी।’ उसने कहा जो लाया हो। बुद्ध ने कहा ‘जो तुम हमको देते थे उसको हमने स्वीकार नही किया है। वह भी आपके पास रहेगी। इस बात को सुनकर वह व्यक्ति शर्मिन्दा हो गया और बुद्ध का शिष्य बन गया। यह क्षमा का फल है।
क्षमा रूपी शस्त्र को जिसने हाथ में लिया है। खोटे पुरूष उसका क्या कर सकते हैं। राख में गिरी हुई अग्नि अपने आप ही शान्त हो जाती है।’
रिपोर्ट- अनूप रतूड़ी