योग्यता आन्तरिक गुण

योग्यता आन्तरिक गुण
मधुरम समय, देहरादून। राजा विक्रमादित्य ने एक दिन कालिदास से पूछा आप विद्वान और बुद्धिमान हैं लेकिन आपका शरीर आपकी बुद्धि के अनुरूप सुन्दर न होकर काला और बदसूरत है। यह सुनकर कालिदास मौन रहे और कुछ नहीं बोले। फिर एक दिन राजा को प्यास लगी। कालिदास ने राजा के लिए मिट्टी और सोने के दो अलग-अलग बर्तनों में पानी मंगवाया। पानी मांगने के बाद वह राजा विक्रमादित्य से बोले, ‘महाराज, इन दोनों पात्रों में से किस का जल शीतल है।’ राजा ने जवाब दिया, ‘मिट्टी के पात्र वाला। यह सुनकर कालीदास हंसे और बोले, महाराज जिस प्रकार शीतलता बर्तन की सुन्दरता पर निर्भर नहीं करती। उसी प्रकार विद्वता और योग्यता शरीर के रंग-रूप पर निर्भर नहीं करती। राजा विक्रमादित्य समय आने पर अपने प्रश्न का उत्तर पाकर बहुत प्रसन्न हुए ।’
योग्यता शरीर पर निर्भर नहीं होती यह तो आन्तरिक आत्मा का गुण है।
रिपोर्ट- अनूप रतूड़ी