मुख्य काम
मधुरम समय,देहरादून। एक बार महात्मा ईसा अपने विचार प्रकट करने और प्रश्नों का उत्तर देने के लिए एक सभा में बुलाये गये। सभा में पहुंचते ही उन्होंने देखा कि वहां उपस्थित एक व्यक्ति हाथ की पीड़ा से बहुत कष्ट पाता हुआ कराह रहा है। महात्मा ईसा तुरन्त उसका उपचार करने लग गये । उनको यह करते देख विरोधियों ने समझा कि वे सभा की कार्यवाही से कतरा रहे हैं एक ने व्यंग करते हुए कहा, ‘ईसा तुम तो शास्त्रार्थ करने आये हो फिर तुम उस काम को छोडकर ये क्या कर रहे हो । महात्मा ईसा ने बडे़ शान्त होकर उत्तर दिया क्या तुम में से कोई ऐसा है, जिसके पास एक ही भेड हो और वह कुंए में गिर जाए तो वह व्यक्ति अपना सारा काम छोड़कर उस भेड को निकालने में लग जायेगा । ईसा ने कहा मेरा मुख्य काम तो पीडितों की सेवा करना है तथा लोगों के दुख र्दद दूर करने का है । शास्त्रार्थ और व्याख्यान तो जीवन के साधारण कार्यक्रम है ।
‘ परहित सरिस धरम नहिं भाई । पर पीढ़ा सम नहिं अधमाई ।।
रिपोर्ट- अनूप रतूड़ी
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