आप किस जाति के है
मधुरम समय, देहरादून । आचार्य कृपलानी द्रेन में सफर कर रहे थे । परिचय का माहौल बना तो सामने बैठे व्यक्ति ने उनका नाम पूछा । आचार्य ने अपना बता दिया । अगला प्रश्न था, आप किस जाति के हैं ? उन्होंने गम्भीरता से कहा, ‘अब मैं तुम्हें अपनी जाति क्या बताऊं । सुबह शौच के लिए जाता हूं तब मैं शूद्र होता हूं । बच्चों को पढ़ाते समय में स्वयं को ब्राहमण से कम नहीं समझता । महीना पूरा होने पर जब वेतन का हिसाब लगाता हूं तब अपने आपको बनिया समझता हूं और जबसे गांधी जी के साथ मिलकर शोषण व अन्याय से लड़ने का संकल्प लिया है, अपने को क्षत्रिय से कम नहीं समझता ।
‘मानव जाति एक है । गुण-कर्म और स्वभावों से व्यक्ति की परख होती है ।’
रिपोर्ट- अनूप रतूड़ी
आप किस जाति के है