संकल्पवान बनो
मधुरम समय, देहरादून । एक लड़के ने जब एक धनी आदमी को देखा तो उसने धनवान बनने का निश्चय किया कई दिनों तक वह पैसा कमाने की फिक्र में लगा रहा । इस बीच उसकी मुलाकात एक विद्वान से हुई तो उसने ज्ञानी बनने की सोची । कमाना छोड़कर वह अध्ययन करने में जुटा । अभी थोड़ा बहुत ही सीखा था कि उसकी भेंट एक संगीतज्ञ से हुई । संगीत के प्रति आकृष्ट हो कर उसने अध्ययन बीच में ही छोड़कर संगीत सीखना शुरू कर दिया । काफी उम्र बीत गई । न वह धनी बन सका, न ही संगीत सीख पाया । एक दिन उसकी मुलाकात एक महात्मा से हुई, उन्हें उसने अपने दुख का कारण बताया । इस पर महात्मा बोले-वत्स, यह दुनिया बड़ी चिकनी है । जहां जाओगे कोई न कोई आकर्षण खींच लेगा । निश्चय कर लो फिर उस पर सारी उम्र अमल करते रहो, तभी तुम्हारी उन्नति होगी ।
‘संकल्पवान व्यक्ति ही दुर्लभ लक्ष्य को पाने में सफल होता है ।’
लेखक तथा संकलन कर्ता-स्वामी ब्रहमानन्द सरस्वती ‘‘वेद भिक्षु’’
रिपोर्ट- अनूप रतूड़ी
संकल्पवान बनो