घर पर नहीं है

 घर पर नहीं है

मधुरम समय,देहरादून । डा0 मोक्ष गुडंम विश्वेश्वरैया सभी के लिए प्रेरणा के स्रोत थे । विश्वेश्वरैया सौ साल से भी अधिक जिए और आखिर तक वे चुस्त-दुरूस्त बने रहे । एक बार किसी ने उनसे पूछा, ‘आपके युवा रहने का रहस्य क्या है । उन्होंने कहा कि जब बुढ़ापा मेरा दरवाजा खटखटाता है तब मैं अन्दर से जवाब देता हूं कि विश्वेश्वरैया घर नहीं हैं और वह निराश होकर लौट जाता है । बुढ़ापे से मेरी मुलाकात ही नहीं हो पाती ,तो वह मुझ पर कैसे हावी हो सकता हैे ।

संयम, कर्मशीलता और नियम पालन से आयु की वृद्धि होती हैे ।

लेखक तथा संकलनकर्ता - स्वामी ब्रहमानन्द सरस्वती ‘‘वेद भिक्षु’’

रिपोर्ट - अनूप रतूड़ी