धैर्य सच्चा मित्र है
मधुरम समय,देहरादून । एक बार यीशु मसीह अपने कुछ चेलों के साथ एक गांव से गुजर रहे थे । रास्ते में एक जगह आठ- दस छोेटे -छोटे गड्ढे खुदे देखकर एक चेले ने यीशु मसीह से इन गड्ढों के बारे में पूछा । जवाब मंे उन्होंने कहा - किसी व्यक्ति ने पानी की तलाश में इतने गड्ढे खोदे हैं । एक गड्ढे में पानी न मिलने पर दूसरा खोदा और दूसरे में न मिलने पर तीसरा खोदा गया । इसी तरह एक के बाद एक इतने गड्ढों को खोदने के बावजूद भी उसे जब पानी नहीं मिला तो थक-थकाकर बैठ गया । उस आदमी में धैर्य का अभाव था । उस व्यक्ति ने इतने गड्ढे खोदने में जितना श्रम तथा समय लगाया उतना अगर एक ही गड्ढा खोदने में लगाता तो उसे पानी अवश्य मिलता । उन्होंने चेलों से कहा-मनुष्य को चाहिए कि कोई भी काम तन-मन-धन से करने के साथ-साथ धैर्य भी रखे तो उसे परिश्रम के फल की प्राप्ति जरूर होगी ।
‘धैर्य, धर्म, मित्र और नारी की परीक्षा आपत्ति में होती है ।’
लेखक तथा संकलनकर्ता - स्वामी ब्रहमानन्द सरस्वती ‘‘वेद भिक्षु’’
रिपोर्ट - अनूप रतूड़ी